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सुकरात के न्यायपूर्ण राज्य (just state) का मॉडल एक ऐसी स्वस्थ जैविक संरचना थी, जहाँ राज्य के सभी अवयव/अंग संपूर्ण राज्य के हित में और संपूर्ण राज्य सभी अवयवों/अंगों के हित में कार्य करते हैं। परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

24 Dec 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण

  • सुकरात के न्यायपूर्ण राज्य के मॉडल की व्याख्या कीजिये।
  • इसे एक स्वस्थ जैविक/आंगिक संरचना के साथ संबद्ध कीजिये।
  • निष्कर्ष दीजिये।

परिचय

  • प्लेटो के रिपब्लिक की दूसरी पुस्तक में, सुकरात का मानना था कि एक शहर/राज्य के न्याय पर विचार करने वाला ही किसी मनुष्य के न्याय को उचित तरीके से समझ सकता है। उन्होंने न्यायपूर्ण या आदर्श राज्य की व्याख्या करने के लिये सिटी-सोल एनालॉगी (city-soul analogy) का सिद्धांत प्रस्तुत किया।

प्रारूप

  • सुकरात का कहना है कि एक अच्छा शहर और एक इंसान अधिकांशतः एक जैसे होते हैं, क्योंकि वे एक-दूसरे के अंग हैं जो एक-दूसरे से समान रूप से संबद्ध होते हैं।
  • वह कहते हैं कि किसी राज्य के हिस्से/अंग उसके नागरिक हैं और अपने किसी भी नागरिक के दर्द या खुशी के मामले में, राज्य को समान भावना साझा करनी पड़ती है। अर्थात् संपूर्ण राज्य अपने इस नागरिक के दर्द या खुशी का अनुभव करता है। यह प्राणवान जीव के किसी भी हिस्से में दर्द या खुशी की तरह है, जहाँ जीव अपने किसी भी हिस्से में महसूस किये गए दर्द या खुशी को महसूस करता है। सभी अंगों का स्वास्थ्य एक साथ जीव के स्वास्थ्य का गठन करता है।
  • इस सादृश्य से यह स्पष्ट है कि बच्चे, महिलाएँ, बुजुर्ग, विकलांग, दलित, अल्पसंख्यक, हाशिये या सुभेद्य वर्ग सहित सभी नागरिकों की भलाई ही राज्य की भलाई को निर्धारित करते हैं। अर्थात् राज्य के अंग (नागरिक) संपूर्ण राज्य के लाभ के लिये कार्य करते हैं।
  • दूसरी ओर, राज्य के लिये कोई भी अवसर या खतरा उसके अंगों अर्थात् नागरिकों के लिये एक अवसर या खतरा है। जीव की भलाई उसके सभी अंगों की भलाई के लिये कार्य करती है। सर्वोत्तम शासन वाला शहर एक स्वस्थ जीव की तरह होता है। इस प्रकार, राज्य की संपूर्ण प्रगति और विकास अपने नागरिकों की बेहतरी की दिशा में कार्य करता है। राज्य का निष्पक्ष और न्यायपूर्ण स्वरूप उसके लोगों के समग्र लाभ के लिये कार्य करता है। अर्थात, संपूर्ण (राज्य) अपने अंगों (नागरिकों) को फायदा पहुँचाता है।
  • जिस प्रकार किसी शरीर के स्वास्थ्य का पूरा लेखा-जोखा उसके सभी अंगों के स्वास्थ्य का लेखा-जोखा होता है, उसी प्रकार किसी राज्य की समृद्धि उसके संपूर्ण नागरिकों की समृद्धि होती है : इस प्रकार, उसी राज्य को आदर्श या न्यायपूर्ण कहा जाएगा जिसके नागरिक स्वस्थ एवं समृद्ध हों। न्याय, निष्पक्षता, पारदर्शिता, करुणा और कमज़ोर वर्गों के प्रति सहानुभूति की भावना का प्रसार किसी राज्य की न्यायसंगतता को निर्धारित करता है। जबकि नागरिकों के बीच सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, कानून का पालन, सहिष्णुता और कर्त्तव्य की भावना राज्य की समग्र भलाई को निर्धारित करती है।

निष्कर्ष

आधुनिक राष्ट्र-राज्य अपने लोगों के सर्वोत्तम हितों के लिये कार्य करने हेतु सुकरात के सिटी-सोल एनालागी (city-soul analogy) से प्रशासनिक सबक सीख सकते हैं। व्यक्ति विशेष भी श्रेष्ठ तरीके से नागरिक कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए अपने राष्ट्र की बेहतरी के लिये कार्य करना सीख सकते हैं।