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दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय है जो स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा है। इस बढ़ते खतरे के कारणों को बताते हुए सरकार द्वारा अपनाए गए उन प्रयासों के बारे में चर्चा कीजिये जो इसकी रोकथाम में सहायक हैं। (250 शब्द)

17 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | पर्यावरण

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रासंगिक तथ्यों और स्थिति पर प्रकाश डालते हुए परिचय दीजिये।

  • स्वास्थ्य लागतों के संदर्भ में एवं वायु प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताते हुए दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारणों पर चर्चा कीजिये।
  • सरकार द्वारा किये गए उपायों के बारे में बताते हुए वायु प्रदूषण से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डालिये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • शहरी क्षेत्रों में कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिये वायु प्रदूषण ज़िम्मेदार है। दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति, प्रदूषकों के स्तर और उन्हें कम करने के लिये नियंत्रण उपायों में कई बदलाव किये गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संकलित वायु गुणवत्ता आंँकड़ों के अनुसार, दिल्ली विश्व का सबसे प्रदूषित शहर है।
  • हाल के अध्ययनों में देखा गया है कि बढ़े हुए वायु प्रदूषण के कारण प्राकृतिक मृत्यु दर तथा अन्य रोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों के दौरान शहर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये कई कदम उठाए गए हैं। हालाँकि, वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये अभी और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

प्रारूप:

दिल्ली में उच्च प्रदूषण का कारण:

  • वाहनों से उत्सर्जन: दिल्ली में 9 मिलियन से अधिक वाहन पंजीकृत हैं। इसके अलावा दिल्ली में प्रत्येक दिन पड़ोसी राज्यों से प्रवेश करने वाले वाहनों की संख्या भी बहुत अधिक है। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने दिल्ली के वायु प्रदूषण को बढ़ाने में वाहनों के उत्सर्जन को एक प्रमुख कारक के रूप में पाया है।
  • फसल अपशिष्ट का दहन: अक्तूबर-नवंबर माह में बढ़े पैमाने पर वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा फसल अवशेष को जलाया जाना है। ऐसा अनुमानित है कि इन राज्यों द्वारा लगभग 35 मिलियन टन फसल का दहन किया जाता है। ये सभी प्रदूषक और धूल कण हवा के साथ मिल जाते हैं जो हवा को प्रदूषित करते हैं।
  • सर्दियों के समय प्रदूषण: सर्दियों के मौसम में प्रदूषक हवा में स्थिर हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्मॉग का निर्माण होता है।
  • उच्च जनसंख्या: अधिक जनसंख्या विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को उत्पन्न करती है जैसे- अधिक मात्रा में ठोस अपशिष्ट, पानी की बर्बादी, कण प्रदूषण को उत्सर्जित करने वाली निर्माण गतिविधियाँ इत्यादि।
  • निर्माण गतिविधियाँ और मुक्त अपशिष्ट निपटान: दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियाँ हवा में धूलकण और प्रदूषण को मिश्रित करने के लिये अग्रणी भूमिका निभाती हैं।
  • थर्मल पावर प्लांट और उद्योग: दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक प्रदूषण तथा कोयला आधारित बिजली संयंत्र वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।
  • पटाखे: दिवाली समारोह के साथ-साथ शादियों में भी पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है। पटाखों का प्रयोग दिवाली के बाद दिल्ली में धुंध का एक प्रमुख कारण है।
  • भौगोलिक स्थिति: दिल्ली की स्थिति स्थल अवरुद्ध है, इसलिये यहांँ प्रदूषण मुंबई या चेन्नई जैसे तटीय शहरों की तरह जल्दी से नहीं फैल सकता है।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये ज़रूरी उपाय:

  • फसल दहन का निपटारा: पड़ोसी राज्यों से फसल अपशिष्ट दहन को नियंत्रित करने के लिये सरकार किसानों को टर्बो हैप्पी सीडर (Turbo Happy Seeder) खरीदने के लिये सब्सिडी प्रदान करा रही है।
  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान: सरकार द्वारा ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को लागू किया गया है जिसमें बदरपुर थर्मल पावर प्लांट को बंद करने, निर्माण गतिविधियों को प्रतिबंधित करने और पत्तियों/बायोमास को जलाने पर प्रतिबंध इत्यादि उपाय शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: यह पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से शुरू की गई पहल है जिसके तहत वर्ष 2017 को आधार वर्ष मानते हुए वर्ष 2024 तक दिल्ली सहित 102 शहरों में अपरिष्कृत कणों (10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास के कणिका पदार्थ अथवा PM10) और महीन कणों (2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास के कणिका पदार्थ अथवा PM2.5) की सघनता को तुलनात्मक रूप से 20% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तहत सार्वजनिक सूचना के लिये राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी किया गया।
    • शहरों में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण देश में बीएस- VI (भारत स्टेज- VI यूरो VI के बराबर भारतीय है) मानकों को लागू करने के लिये ग्रेड ईंधन के लिये समय सीमा अप्रैल 2020 थी जिसे दिल्ली में 1 अप्रैल, 2018 तक कर दिया गया था।
    • दिल्ली के अनियोजित यातायात के लिये पूर्वी और पश्चिमी एक्सप्रेसवे का निर्माण। दिल्ली में ओवरलोड और गैर-नियत ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध तथा 'ग्रीन टैक्स' को लागू करना।

संबंधित मुद्दे:

  • कार्यान्वयन की कमी: दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों के बावजूद कार्यान्वयन के अभाव की समस्या बनी हुई है। पड़ोसी राज्यों द्वारा फसल अपशिष्ट दहन पर कोई नियंत्रण नहीं, पटाखों पर प्रतिबंध बुरी तरह से विफल रहा, औद्योगिक कचरे का जलना आदि की समस्या।
  • आस-पास के राज्यों से प्रदूषण: दिल्ली का वायु प्रदूषण एक क्षेत्रीय समस्या है।राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में PM2.5 का 60% दहन पड़ोसी राज्यों द्वारा किया जाता है। प्रदूषण से संबंधित कोई भी नीति तब तक सफल रूप में कार्यान्वित नहीं की जा सकती है जब तक कि उसमे क्षेत्रीय हितों को शामिल न किया जाए।

निष्कर्ष

दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या एनसीआर में लगभग 26 मिलियन लोगों के लिये एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। इस पर नियंत्रण पाना एक नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिये। सार्वजनिक परिवहन, कचरा प्रबंधन के अलावा पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर सही बुनियादी ढांँचे के निर्माण सहित बहु-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान किये जाने की आवश्यकता है।