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भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को ‘सनराइज़ इंडस्ट्री’ क्यों कहा जाता है? भारतीय कृषि के लिये इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

19 Dec 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण

  • खाद्य प्रसंस्करण को परिभाषित करते हुए भारत में इसकी स्थिति को स्पष्ट कीजिये।
  • भारतीय कृषि के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
  • भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिये उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय

  • खाद्य प्रसंस्करण में सामान्यतः खाद्य पदार्थों की बुनियादी तैयारी, खाद्य पदार्थों का अन्य रूपों में संरक्षण तथा पैकेजिंग तकनीक शामिल है। भारत एक कृषि अर्थव्यवस्था होने के कारण खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों (FPI) के संदर्भ में स्वाभाविक रूप से लाभप्रद स्थिति में है। इस प्रकार एफपीआई को भारत में 'सनराइज़ इंडस्ट्री' के रूप में मान्यता प्राप्त है।

प्रारूप

भारतीय कृषि हेतु खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का महत्त्व

  • ग्रामीण कार्यबल को आकर्षित करना: एक अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 50% श्रम शक्ति कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में संलग्न है।
    • इस प्रकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग कृषि क्षेत्र के श्रमिकों की उस बड़ी आबादी का उपयोग कर सकता है जो प्रच्छन्न बेरोज़गारी का सामना करता है।
  • खाद्य सुरक्षा: भारत में अच्छे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करके कच्चे माल जैसे- अनाज या मांस को घरेलू और विदेशी उपभोग के लिये भोजन सामग्री में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • बढ़ता निर्यात: व्यस्त एवं बदलती जीवन शैली के साथ, प्रसंस्कृत भोजन की मांग भी बढ़ती रहती है।
    • इस प्रकार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का लाभ उठाकर भारत प्रसंस्कृत खाद्य के निर्यात के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।
    • इससे सरकार को विदेशी मुद्रा भंडार के निर्माण तथा चालू खाते के घाटे की जांँच करने में मदद मिल सकती है।
  • संपूर्ण आर्थिक विकास: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों यथा- प्राथमिक क्षेत्र (कृषि), माध्यमिक क्षेत्र (उद्योग) और तृतीयक क्षेत्र (माल का परिवहन, कृषि-प्रसंस्करण में अनुसंधान एवं विकास) के मध्य महत्त्वपूर्ण संबंध और तालमेल स्थापित करता हैं। ।
  • प्रवासन पर अंकुश: ग्रामीण क्षेत्र खाद्य प्रसंस्करण के लिये अधिक अनुकूल स्थान है।
    • इस प्रकार यह ग्रामीण भारत में ग्रामीण-शहरी प्रवासन और गरीबी को रोकने में मदद करेगा।
  • किसानों की आय को दोगुना करना: इसके बहु-क्षेत्रीय महत्त्व को देखते हुए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये उठाए जाने वाले कदम

  • सरकार को रसद, भंडारण और प्रसंस्करण के लिये बुनियादी ढांँचे का निर्माण करने के लिये जोखिम-साझाकरण तंत्र, राजकोषीय प्रोत्साहन तथा साझेदारी मॉडल स्थापित करने से संबंधित किसी भी दृष्टिकोण को सावधानीपूर्वक अपनाना चाहिये।
  • अनुबंध और कॉर्पोरेट खेती हेतु अनुकूल नियामक ढांँचे को विकसित करने तथा कमोडिटी क्लस्टर्स एवं गहन पशुधन पालन को प्रोत्साहित करने के लिये विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • इस संदर्भ में प्रधानमंत्री किसान योजना का शुभारंभ सही दिशा में उठाया गया कदम है।

निष्कर्ष

इस प्रकार वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण को समग्र खाद्य क्षेत्र के हिस्से के रूप में अपनाने के साथ ही कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिये उपलब्ध सभी सुविधाएंँ, छूट और रियायत देने की अवश्यकता है।