Be Mains Ready

प्राचीन भारत एवं चीन के मध्य वस्तु-विनिमय/आदान-प्रदान में चीनी तीर्थयात्रियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।टिप्पणी कीजिये।(150 शब्द)

03 Dec 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | संस्कृति

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण:

  • परिचय में भारत आने वाले कुछ प्रमुख चीनी तीर्थयात्रियों का उल्लेख कीजिये।
  • बताइये कि किस प्रकार वस्तु-विनिमय या आदान-प्रदान में तीर्थयात्रियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • भारत और चीन के मध्य आर्थिक और सांस्कृतिक आयामों के आदान-प्रदान की जड़ें अतीत के साथ गहरे रूप से जुडी हुई हैं। भारतीय शहरों ने प्राचीन रेशम मार्ग में प्रधान केंद्रों के रूप में कार्य किया। चीन दक्षिण-पूर्व एशियाई व्यापार में भारत का प्रमुख भागीदार रहा।
  • दोनों ही राष्ट्रों के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान दो देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने तथा चीन में बौद्ध धर्म को प्रसारित करने की आवश्यकता से प्रेरित था।
  • विभिन्न चीनी विद्वानों (फाहियान) द्वारा बौद्ध ग्रंथों को एकत्रित करने के लिये या प्रतिष्ठित भारतीय शिक्षण संस्थानों (नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला) में अध्ययन करने के उद्देश्य से भारत का दौरा किया गया।

प्रारूप:

भारत और चीन के मध्य हुए विद्वानों के आदान-प्रदान से दोनों देशों के संदर्भ में दीर्घकालिक परिणाम देखने को मिले:

  • चीनी यात्री इत्सिंग और ह्वेनत्सांग (हर्ष द्वारा बौद्ध धर्म के संरक्षण के संबंध विवरण) जिन्होनें नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, के यात्रा-वृत्तांतों ने विदेशी छात्रों को भारत में अध्ययन करने के लिये आकर्षित किया।
  • जिन भारतीय विद्वानों ने चीन का दौरा किया, उन्होंने संस्कृत ग्रन्थ/दस्तावेज़ों का चीनी (मुख्य रूप से बौद्ध ग्रंथों) भाषा में अनुवाद किया तथा वहांँ गणित और विज्ञान के विकास में अपना सक्रिय योगदान दिया गया। गौतम, सिद्धार्थ जैसे प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिकों को चीनी वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों में महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया।
  • दोनों देशों के मध्य हुए यात्रियों के आदान-प्रदान से बौद्धिक बातचीत का दायरा धर्म से परे विज्ञान, गणित, साहित्य, भाषा विज्ञान, वास्तुकला, चिकित्सा और संगीत तक विस्तारित हो गया।
  • दोनों देशों के मध्य हुए वस्तु-विनिमय (चीनी आयात) ने लोगों की उपभोग आदत को भी प्रभावित किया, विशेष रूप से भारतीय कुलीन वर्ग को। कालिदास द्वारा अपनी महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कृति 'शकुंतला' में भारतीयों द्वारा उपयोग किये जाने वाले चीनी उत्पादों की प्रकृति का उल्लेख किया गया है।

निष्कर्ष:

प्राचीन काल में भारत और चीन के मध्य मज़बूत एवं सौहार्दपूर्ण संबंध विद्यमान थे जिनकी शुरुआत व्यापारिक संबंधों से हुई तथा जिन्हें बाद में राजनीतिक आदान-प्रदान और तीर्थयात्रियों के यात्रा-वृत्तांतों के परिणामस्वरूप और अधिक बढ़ावा मिला। चीन ने वस्तु-विनिमय द्वारा दैनिक उपयोग की वस्तुओं का निर्यात कर भारत को लाभान्वित किया, वहीं दूसरी ओर भारतीयों ने विज्ञान, साहित्य और धर्म के अपने ज्ञान का प्रसार चीन में किया इस आदान-प्रदान में चीनी यात्रियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।